कुष्टरोग (हेन्सन का रोग) क्या है ?
कुष्ट रोग या हेन्सन रोग माइक्रो बैक्टिरियम लेप्री नामक जीवाणु से होने वाले चिरकालीन रोग है । इसमें नसें, म्यूकोसा, हाथ पैर और आँख, जिसमें चमड़ी के लक्षण सबसे अधिक प्रकट होते हैं ।
कुष्ट रोग क्यों होता है ?
यह इन्फेक्शन माइक्रो बैक्टिरियम लेप्री से होता है । यह प्रभावित व्यक्ति के श्वस्न संस्थान में होता है । यह हवा द्वारा फैलता है । जैसा की भ्रम है छूने से यह नहीं फैलता । ये अम्ल रंजित बैक्टिरिया होते हैं । इसके गुण टी बी के बैक्टिरिया से मिलते जुलते होते हैं । इसके गुण टीबी के बैक्टिरिया से मिलते जुलते होते हैं । इसका प्रारूपित प्रकटन माइक्रोस्कोप में वैक्सी आवरण और रंजन से होता है । यह महत्वपूर्ण नैदानिक घटक है । स्वस्थ व्यक्ति के संम्पर्क में बैक्टिरिया आने पर यह नसों पर आक्रमण करता है । जिससे संज्ञा की क्षति हो जाती है । त्वचा में संज्ञानाश होने के कारण त्वचा, आँख और समय पर्यन्त हाथ पैर भी प्रभावित हो जाते हैं ।
चिकित्सा न होने पर, संज्ञाविहीन हाथ पैर होने के कारण विकलांगता आ सकती है और धीरे-धीरे पैर भी बच नहीं पाते । साथ ही चमड़ी के परिवर्तन के साथ गंभीर विकलांगता आ जाती है । कुष्ट रोग की इस तरह की शारीरिक विकलांगता एक सामाजिक कलंक है ।
इसके महत्वपूर्ण लक्षण क्या हैं ?
इसके कुछ महत्व पूर्ण लक्षण ये हैं -
* एक या अनेक सफेद या पीले धब्बों का संवेदनहीन चकतों का सारे शरीर पर पाया जाना ।
* अचानक अनपेक्षित रूप से आँखों की पलकों के बालों का झड़ना एक महत्वपूर्ण लक्षण है ।
* चमड़ी का मोटा होना और असामान्य चमड़ी फोल्ड होना विशेषता चहरे पर यह लेनिन फेसी को प्रकट करता है।
* माथे, कोहनी, घुटने के पीछे और पौंचे के पास की नसों का मोटा होना और वेदना व सूजन आना ।
* चमड़ी के किनारों के पास ललाई के पैचस होकर वेदना होना ।
* चमड़ी के नीचे छोटी छोटी ठोस गॉंठ होना ।
* नाक की सेप्टम क्षत होने के नाक की विकृति होना सामान्य लक्षण है ।
* सम्यक चिकित्सा न करवाने पर अंगुलियॉं, अंगूठा, एड़ी आदि संवेदनाहीन होने के कारण क्षत-विक्षत हो जाती है । इससे अंगुलियॉं छोटी या झड़ भी जाती हैं ।
इसका निदान कैसे होता है ?
* संदेहास्पद पैच होने पर संवेदना का टेस्ट करवाना चाहिए ।
* रोगी की अतिरिक्त पैच और नर्व के मोटे होने की पूरी डॉक्टरी जॉंच करना चाहिए ।
* यदि संवेदना कम या बिलकुल न हो तो, चमड़ी की स्क्रैप और नाक की म्यूकोसा का स्क्रैप की माइक्रोस्कोप द्वारा बैक्टिरिया जॉंच की जाती है ।
* चमड़ी की स्मियर में बैक्टिरिया होने पर, नर्व के मोटे होकर घाव की उपस्थिति और संवेदना हीनता - सभी निदान की पुष्टि करते हैं और तुरन्त चिकित्सा आरंभ की जानी चाहिए ।
* घावों की गंभीरता और नर्व का दुष्प्रभाव के आधार पर कुष्ट रोग का वर्गीकरण किया जाता है । वे हैं - पॉसी बैसीलरी (कम घाव, कम गंभीर), ट्यूबरक्यलॉयड (नर्व अधिक प्रभावित) और म्यूटी बैसीलरी (गंभीर घाव और अत्याधिक बैक्टिरिया ।
कुष्टरोग की चिकित्सा कैसे?
चिकित्सा की मुख्यधारा में तीन औषधियॉं हैं - रिफाम्पीसिन, डैपसोन और क्लोफाजामाईन । इनकी अलग अलग मात्रा और मानव रोग की अवस्था के आधार पर निश्चित की जाती है ।
कुछ महत्वपूर्ण वेबसाइट -
mediline plus medical encylopedia : leprosy
leprosy (hansons disease)
welcome to american laprosy mission
bombay leprosy project
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment