Tuesday, February 17, 2009

कैनडिडा

कैनडिडियासिस (कैन्डिड इन्फेक्शन) क्या है ?
साधारणतया हमारे शरीर की म्यूकस झिल्ली में रहने वाला एक प्रकार का यीस्ट है । जब शरीर की सामान्य परिस्थति बदलती है तो यह अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगता है । इससे एक प्रकार का इन्फेक्शन होता है जिसे मोनोलियासिस कहते हैं । इससे बच्चों के कूल्हों में डाइपर रैश, मुँह में छाले, योनि में इन्फेक्शन, शिश्न के चारों ओर, नाखून, गले में, आतों में इन्फेक्शन और हृदय में भी गंभीर इन्फेक्शन हो जाता है ।
यह कैसे होता है ?
यह इन्फेक्शन सामान्यतया चमड़ी में रहने वाले यीस्ट से होता है । सामान्य अवस्था में चमड़ी रहने वाले अन्य बैक्टिरिया, पी.एच., तापमान और नमी इसे बढ़ने नहीं देते । फिर भी इन घटकों के परिवर्तन होने पर जैसा एंटीबायोटिक का अति उपयोग, आधिक आर्द्रता, चमड़ी के दूसरे इन्फेक्शन अधिक रूखापन आदि होने पर इसका संतुलन बिगड़ जाता है और कैडिडा तेजी से बढ़कर इन्फेक्शन उल्लेखित जगहों में कर देता है ।
दुर्लभ रोगी में, जिनमें इम्यूनिटि की समस्या रहती है, जैसे एड्‌स, न्यूमोनिया, कैंसर इनमें यह इन्फेक्शन रक्त में प्रवेश कर जाता है और गला, आँतों और हृदय के वाल्व में फैल कर गंभीर उपद्रव उत्पन कर देता है ।
इसके प्रमुख लक्षण क्या हैं ?
* इससे शिशुओं के कूल्हों के चारो ओर और ऊरूमूल में लालिमा हो जाती है जिसे डाईपर रैश कहते हैं ।
* बच्चों और बड़ों में इम्यूनिटि की कम होने पर साधारणतया मुखगुहा में छाले हो जाते हैं इसे ओरल थ्रश कहते हैं । इससे जीभ और गाल का भीतरी भाग सफेद हो जाता है ।
* योनि प्रभावित होने पर इससे दूधिया बदबूदार रिसाव होता है ।
* पुरुषों में शिश्न प्रभावित होने पर इसके शीर्षस्थ भाग में सूजन व लाल हो जाता है ।
* दुर्लभ रूप में यह रक्त संचार द्वारा फैलता है तब गंभीर गले की खराश, आंतों का इन्फेक्शन होकर पतले दस्त, पेट फूलना और उदरशूल होता है । ऐसे रोगियों में इसोफेजियल कैडिड- यासिस इन्फेक्शन होना आम बात है । गंभीर ल्यूकिमिया, एड्‌स आद में हृदय के वाल्व तक इन्फेक्शन फैल कर कंजेस्टिव कार्डियक फेलयर या एरिथमिया हो सकते है ।
इसका निदान कैसे होता है?
यह चमड़ी और जननांगों का साधारण इन्फेक्शन है जिसे सामान्य परीक्षा द्वारा निदान किया जा सकता है और चिकित्सा की जा सकती है । फिर भी जिनमें निदान में संदेह हो तब ये टेस्ट की जाती है -
* कैडिड इम्यून कॉम्प्लेक्स एसे टेस्ट - यह विशेष रक्त परीक्षा है, जिससे यीस्ट के प्रति कार्यशील एंटीबायोटिक का पता चलता है ।
* पुरीष परीक्षा - आँतों में इन्फेक्शन होने पर मल परीक्षा द्वारा मल में कैन्डिडा का पता चलता है ।
* कैंडिडा कल्चर - मुख गुहा में छाले होने पर रूई द्वारा नमूना निकालकर कल्चर किया जाता है ।
इसकी चिकित्सा क्या है?
इन्फेक्शन के परिमाण पर चिकित्सा निर्भर होती है और अन्य इन्फेक्शन की उपस्थिति और इम्यूनिटि पर भी चिकित्सा निर्भर करती है । इन्फेक्शन की शुरुआत किन कारणों से हो रही है इसकी जॉंच क निवारण करना ही पूरी चिकित्सा हो सकती है ।
इसकी चिकित्सा में अक्सर स्थानीय उपयोग में एंटीफंगल दवा दी जाती है ।
गंभीर इन्फेक्शन में पूरी जॉंच जरूरी होती है । इससे उसके कारणों, सह उपस्थित रोग, आहार और इम्यूनिटि को बढ़ाने के उपाय शामिल होते हैं ।
उपयोगी वेबसाईट
Candidiasis:overview and full index

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